जीवन का मंत्र -15-Nov-2022

प्रतियोगिता

दिनांक 15/11/2022
विषय स्वैच्छिक
विधा गीत
शीर्षक जीवन का मंत्र

जीवन का मूल मंत्र

जो परमपिता को भूल गया।
मानो खुद के प्रतिकूल गया।
कर बैठा भूल बहुत भारी,
मानो सूली पर झूल गया ।
1
यह समय न फिर से आएगा ।
यह सोच बहुत पछताएगा ।
क्षण क्षण कर क्षण जो बीत रहे,
वह क्षण न क्षण भर पायेगा।
क्यों करें व्यर्थ की चिंताएं ,
तेरा तो ब्याज और मूल गया ।
2
यह जीवन है अनमोल रतन।
तन के हित कर ले कोई जतन ।
तन तन कर चलता तन पर तू, 
इस तन का होगा परिवर्तन ।
यह समय की बहती धारा का,
अब तेरे हाथों से कूल गया।
3
न परम सत्य को जान सका ।
ना प्रभु सत्ता को मान सका।
धन को जोड़ा साधन के लिए ,
सा-धन से करना दान  सका।
क्या कर पाये  विनोदी जब ,
जीवन का मुरझा फूल गया।

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4 Comments

बहुत ही उम्दा

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Ayshu

16-Nov-2022 06:28 AM

Nice

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बहुत खूब 👌👍

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